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Bhaiya dooj

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             How helpful are bhaiya dooj                           भाई दुज                  भाई दूज का पर्व दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है। पहले दीपावली उसके अगले दिन गोवर्धन पूजा और फिर भाई दूज मनाया जाता है। माना जाता हैं कि भाई दूज का यह पर्व बहन के अपने भाई के प्रति प्रेम को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें इस दिन अपने भाई की खुशहाली के लिए ईश्वर से कामना करती हैं। यह पर्व रक्षाबंधन की तरह ही मनाया जाता है। हमारे शास्त्रों में लिखा हैं कि  शास्त्र विधि को त्यागकर मनमाना आचरण करते हैं उनको न तो किसी प्रकार का लाभ मिलता और ना ही उनके कोई कार्य सिद्ध होते और ना ही वे मोक्ष को प्राप्त कर सकते। भैया दूज का पर्व 84 लाख योनियां नहीं छुड़ा सकता। शास्त्र विरुद्ध साधना पर आधारित रहकर भक्ति कर्म करने वाले का मोक्ष तो बहुत दूर की बात है वह तो 84 लाख योनियों में जन्म मृत्यु से भी पीछा नहीं छुड़ा पाता। 84 लाख योनियों से केवल पूर्ण परमात्मा ही छुड़वा सकते हैं पूर्ण परमात्मा की खोज के लिए पूर्ण संत की आवश्यकता होती हैं पूर्ण संत का होना आवश्यक होता हैं  पूर्ण संत की पहचान क्या हैं जानिए👇 सतगुरु गर

How beneficial is the snake worship

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                                 नाग पुजा                             पूर्ण संत नाग पंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है। लोगो की धारणाये हैं  कि सर्प ही धन की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं और इन्हें गुप्त, छुपे और गड़े धन की रक्षा करने वाला माना जाता है. नाग, मां लक्ष्मी की रक्षा करते हैं. जो हमारे धन की रक्षा में हमेशा तत्पर रहते हैं. इसलिए धन-संपदा व समृद्धि की प्राप्ति के लिए नाग पंचमी मनाई जाती है ये सब लोगो की गलत धारणाये हैं हमारे शास्त्रों में लिखा हैं कि  शास्त्र विधि को त्यागकर मनमाना आचरण करते हैं उनको न तो किसी प्रकार का लाभ मिलता और ना ही उनके कोई कार्य सिद्ध होते तथा ना ही वे मोक्ष को प्राप्त कर सकते। शास्त्र विधि विरुद्ध साधना पतन का कारण पवित्र गीता अध्याय 9 के श्लोक 23, 24 में कहा है कि जो व्यक्ति अन्य देवताओं को पूजते हैं वे भी मेरी (काल जाल में रहने वाली) पूजा ही कर रहे हैं।प

What is the right education

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                                                                          शिक्षा Spiritual education शिक्षा मानव को एक अच्छा इंसान बनाती है।सही शिक्षा आध्यात्मिक शिक्षा हैं।जो मनुष्य का कल्याण करवाती हैं। ईश्वर ने मनुष्य को मन, बुद्धि और आत्मा विशेष रूप से प्रदत्त की है। इन्हीं के माध्यम से वह विवेकशील होकर समाज से और आत्मा को परमात्मा से जोड़ सकता है। ईश्वर ने मानव को स्थूल शरीर व इंद्रियों के अलावा एक ऐसा स्वरूप प्रदान किया है कि वह सभी के साथ संतुलन स्थापित करके जी सके। तभी वह अपने जीवन को सफल बना सकता है। चरित्र को अधिक प्रभावित करने में विद्यालय का वातावरण, अध्यापक व छात्रों के साथ-साथ बालक का पड़ोस, सामाजिक रहन-सहन, व्यवहार,आध्यात्मिक ज्ञान व वातावरण भी एक विशिष्ट स्थान रखते हैं।     वयस्क व उम्रदराज लोगों को उच्च चारित्रिक मानकों का प्रेरणादायक वातावरण बनाने के लिए अपने व्यवहार व आचरण के माध्यम से शिशुओं, किशोरों व युवकों को प्रभावित करना चाहिए। यदि हम सभी अपने-अपने आचरण को सुधार कर सच्चरित्र बनें और हमारे उस आचरण का अनुकरण बालक करें, तो अपने आप अपराधों का अंत हो

Who is true god

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                    सत्य परमात्मा कबीर साहेब जी पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ही सत्य परमात्मा है। कबीर तथा सत्य पुरूष एक ही है। यही सत्यपुरूष जगत में दास (कबीर दास)कहलाता है। यह इनकी महानता है कबीर साहेबजी ने ही सृस्टि रचना की। कबीर साहेब जी ने धर्मदास जी को बताया है,  ‘‘हे धर्मदास उस समय की बात सुन, जिस समय न तो पृथ्वी थी, न आकाश तथा पाताल बने थे। न तब कूर्म, शेष, बराह थे, न शारदा, पावर्ती तथा गणेश की उत्पत्ति हुई थी। उस समय ज्योति स्वरूपी काल निरंजन भी नहीं जन्मा था जिसने जीवों को कर्मों के बंधन में बाँध रखा है। और क्या बताऊँ उस समय न तो तैंतीस करोड़ देवता थे, न ब्रह्मा, विष्णु, महेश का जन्म हुआ था। तब न चारों वेद थे, न पुराण आदि शास्त्र थे।  तब सब रहे पुरूष के मांही। ज्यों वट वृक्ष मध्य रहे बीज में छुपाई।। उस समय सर्व रचना परमेश्वर यानि सत्यपुरूष के अंदर थी। जैसे वट वृक्ष (बड़ का वृक्ष)बीज में (जो राई के दाने के समान होता है) छुपा होता है।  ऐसे सर्व रचना परमेश्वर में बीज रूप में रखी थी। परमेश्वर को भगलीगर भी कहा जाता है।   परमात्मा ने सर्व र

Establishment of Karoth in Kashi

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                      काशी में करोथ की कथा सतभक्ति हिन्दु धर्म के धर्मगुरू जो साधना साधक समाज को बताते हैं, वह शास्त्र प्रमाणित नहीं है। जिस कारण से साधकों को परमात्मा की ओर से कोई लाभ नहीं मिला जो भक्ति से अपेक्षित किया। फिर धर्मगुरूओं ने एक योजना बनाई कि भगवान शिव का आदेश हुआ है कि जो काशी नगर में प्राण त्यागेगा, उसके लिए स्वर्ग का द्वार खुल जाएगा। वह बिना रोक-टोक के स्वर्ग चला जाएगा। जो मगहर नगर (गोरखपुर के पास उत्तरप्रदेश में) वर्तमान में जिला-संत कबीर नगर (उत्तर प्रदेश) में है, उसमें मरेगा,वह नरक जाएगा या गधे का शरीर प्राप्त करेगा। गुरूजनों की प्रत्येक आज्ञा का पालन करना अनुयाईयों का परम धर्म माना गया है। इसलिए हिन्दु लोग अपने-अपने माता-पिता को आयु के अंतिम समय में काशी (बनारस) शहर में किराए पर मकान लेकर छोड़ने लगे।यह क्रिया धनी लोग अधिक करते थे। धर्मगुरूओं ने देखा कि जो यजमान काशी में रहने लगे हैं, उनको अन्य गुरूजन भ्रमित करके अनुयाई बनाने लगे हैं। काशी, गया, हरिद्वार आदि-आदि धार्मिक स्थलों पर धर्मगुरूओं (ब्राह्मणों) ने अपना-अपना क्षेत्र बाँट रखा है। यदि कोई गुरू अन्य गु

Krishna Janmashtami

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                           जन्माष्टमी महोत्सव Krishna Janmashtami  जन्माष्टमी को श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसी प्रकार कबीर प्रकट दिवस परमेश्वर कबीर साहेबजी के   अवतरित होने के रूप में मनाया जाता हैं। जन्म- श्रीकृष्ण जी को भगवान विष्णु जी का अवतार माना जाता है। इनका जन्म देवकी और वासुदेव के पुत्र के रूप में मथुरा में हुआ था श्री कृष्‍ण जी ने कंस के कारावास में जन्म ल‌िया। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेबजी चारों युगों में कमल के फूल पर शिशु रुप में प्रकट होते हैं तथा निसंतान दंपति को मिलते हैं। मां के गर्भ से जन्म नहीं लेते। वह जन्म मृत्यु से परे है, अविनाशी है। गुरु का होना आवश्यक-  श्रीकृष्णजी ने ऋषि संदीपनी जी  को अपना गुरु बनाया था इसी प्रकार परमेश्वर कबीर साहेबजी ने स्वामी रामानंद जी को अपना गुरु बनाया था। लीलाये - श्री कृष्ण जी ने बकासुर का संहार किया था कबीर परमेश्वर जी ने भी हिरण्यकश्यप को नरसिंह रूप धारण करके मारा था। हिरण्यकशिपु ने प्रहलाद को मारने के लिए एक लोहे का खम्बा  गर्म कर रखा था उस खम्बे को प्रह

Evidence of Nature's Creation in Holy Bible

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      पवित्र बाईबल में प्रभु मानव सदृश साकार का प्रमाण Bible proof पवित्र बाईबल में प्रभु मानव सृदश साकार रूप में है या नहीं इसी का प्रमाण पवित्र बाईबल में तथा पवित्र कुआर्न शरीफ में भी है।कुआर्न शरीफ में पवित्र बाईबल का भी ज्ञान है, इसलिए इन दोनों पवित्र सद्ग्रन्थों ने मिल-जुल कर प्रमाण किया है कि कौन तथा कैसा है सृष्टी रचनहार तथा उसका वास्तविक नाम क्या है? पवित्र बाईबल(उत्पत्ति ग्रन्थ पृष्ठ नं. 2 पर, अ. 1:20 - 2:5 पर) छटवां दिन :- प्राणी और मनुष्य :अन्य प्राणियों की रचना करके फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाऐं, जो सर्व प्राणियों को काबू रखेगा।  तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया,अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी करके मनुष्यों की सृष्टी की। प्रभु ने मनुष्यों के खाने के लिए जितने बीज वाले छोटे पेड़ तथा जितने पेड़ों में बीज वाले फल होते हैं वे भोजन के लिए प्रदान किए हैं, माँस खाना नहीं कहा है। सातवां दिन :- विश्राम का दिन :परमेश्वर ने छः दिन में सर्व सृष्टी