Bhaiya dooj
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भाई दुज |
भाई दूज का पर्व दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है। पहले दीपावली उसके अगले दिन गोवर्धन पूजा और फिर भाई दूज मनाया जाता है।
माना जाता हैं कि भाई दूज का यह पर्व बहन के अपने भाई के प्रति प्रेम को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें इस दिन अपने भाई की खुशहाली के लिए ईश्वर से कामना करती हैं। यह पर्व रक्षाबंधन की तरह ही मनाया जाता है।
हमारे शास्त्रों में लिखा हैं कि शास्त्र विधि को त्यागकर मनमाना आचरण करते हैं उनको न तो किसी प्रकार का लाभ मिलता और ना ही उनके कोई कार्य सिद्ध होते और ना ही वे मोक्ष को प्राप्त कर सकते।
भैया दूज का पर्व 84 लाख योनियां नहीं छुड़ा सकता।
शास्त्र विरुद्ध साधना पर आधारित रहकर भक्ति कर्म करने वाले का मोक्ष तो बहुत दूर की बात है वह तो 84 लाख योनियों में जन्म मृत्यु से भी पीछा नहीं छुड़ा पाता।
84 लाख योनियों से केवल पूर्ण परमात्मा ही छुड़वा सकते हैं पूर्ण परमात्मा की खोज के लिए पूर्ण संत की आवश्यकता होती हैं
पूर्ण संत का होना आवश्यक होता हैं
पूर्ण संत की पहचान क्या हैं जानिए👇
सतगुरु गरीबदास जी महाराज अपनी वाणी में पूर्ण संत की पहचान बताते हैं कि वह चारों वेदों, छः शास्त्रों, अठारह पुराणों आदि सभी ग्रंथों का पूर्ण जानकार होगा अर्थात् उनका सार निकाल कर बताएगा। यजुर्वेद अध्याय 19 मंत्र 25,26 में लिखा है कि वेदों के अधूरे वाक्यों अर्थात् सांकेतिक शब्दों व एक चौथाई श्लोकों को पुरा करके विस्तार से बताएगा व तीन समय की पूजा बताएगा। सुबह पूर्ण परमात्मा की पूजा, दोपहर को विश्व के देवताओं का सत्कार व संध्या आरती अलग से बताएगा वह जगत का उपकारक संत होता हैं।
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