Krishna Janmashtami

                           जन्माष्टमी महोत्सव

Krishna Janmashtami 2020
Krishna Janmashtami 


जन्माष्टमी को श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
इसी प्रकार कबीर प्रकट दिवस परमेश्वर कबीर साहेबजी के   अवतरित होने के रूप में मनाया जाता हैं।


जन्म-

श्रीकृष्ण जी को भगवान विष्णु जी का अवतार माना जाता है। इनका जन्म देवकी और वासुदेव के पुत्र के रूप में मथुरा में हुआ था श्री कृष्‍ण जी ने कंस के कारावास में जन्म ल‌िया।

पूर्ण परमात्मा कबीर साहेबजी चारों युगों में कमल के फूल पर शिशु रुप में प्रकट होते हैं तथा निसंतान दंपति को मिलते हैं। मां के गर्भ से जन्म नहीं लेते। वह जन्म मृत्यु से परे है, अविनाशी है।


गुरु का होना आवश्यक-

 श्रीकृष्णजी ने ऋषि संदीपनी जी  को अपना गुरु बनाया था

इसी प्रकार परमेश्वर कबीर साहेबजी ने स्वामी रामानंद जी को अपना गुरु बनाया था।

लीलाये -

श्री कृष्ण जी ने बकासुर का संहार किया था

कबीर परमेश्वर जी ने भी हिरण्यकश्यप को नरसिंह रूप धारण करके मारा था।
हिरण्यकशिपु ने प्रहलाद को मारने के लिए एक लोहे का खम्बा  गर्म कर रखा था उस खम्बे को प्रहलाद को पकड़ने के लिए कहा ,प्रहलाद ने जैसे ही खम्बे को पकड़ना चाहा उसी के अंदर से नरसिंह रूप धारण करके कबीर परमेश्वर प्रकट हुए।नरसिंह जी ने उस राक्षस का पेट फाड़कर आँतें निकाल दी और जमीन पर फैंक दिया। प्रहलाद को गोदी में उठाया और जीभ से चाटा।

जो मेरे संत को दुःखी करैं, वाका खोऊँ वंश।हिरणाकुश उदर विदारिया, मैं ही मारा कंस।।

कंस को मारना-

कंस को परमेश्वर कबीर साहेबजी ने ही मारा था पर महिमा श्री कृष्ण जी को दी।

द्रोपदी का चिर हरण से बचाना-

चीर हरण के समय द्रौपदी ने परमेश्वर का ध्यान क‌िया था और द्रौपदी की साड़ी इतनी लंबी होती चली गई क‌ि दुशासन थक कर बैठ गया। इस तरह कबीर परमेश्वर ने श्री कृष्णजी के रूप में द्रौपदी की लाज बचाई। कबीर परमेश्वर जी ने यह महिमा भी श्री कृष्ण जी को दी।

श्री कृष्ण जी को भी कष्ट झेलना पड़ता हैं-

श्री कृष्ण जी भी कष्ट झेलते हैं। 
क्योकि उनका जन्म मृत्यु होता हैं
जबकि कबीर परमेश्वर जी चारों युगों में कमल के फूल पर शिशु रुप में प्रकट होते हैं तथा निसंतान दंपति को मिलते हैं। मां के गर्भ से जन्म नहीं लेते वह जन्म मृत्यु से परे है, अविनाशी है।

"ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा,बालक बन दिखलाया। काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहां जुलाहे ने पाया"।

मीरा बाई ने की भक्ति-

मीरा बाई ने परमेश्वर कबीर साहेबजी की आजीवन भक्ति की थी।

श्री कृष्ण चतुर्भुजी भगवान थे
जबकि कबीर परमेश्वर जी की अनन्त भुजाएं हैं।


इस तीन लोक के भगवान श्री कृष्ण जी से भी ऊपर बहुत बड़ी परम् शक्ति है जिसने इस सम्पूर्ण सृष्टि की रचना की।

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