Who is true god

                    सत्य परमात्मा कबीर साहेब जी
Absolute divine
पूर्ण परमात्मा


कबीर साहेब जी ही सत्य परमात्मा है।
कबीर तथा सत्य पुरूष एक ही है। यही सत्यपुरूष जगत में दास (कबीर दास)कहलाता है। यह इनकी महानता है
कबीर साहेबजी ने ही सृस्टि रचना की।

कबीर साहेब जी ने धर्मदास जी को बताया है, 

‘‘हे धर्मदास उस समय की बात सुन, जिस समय न तो पृथ्वी थी, न आकाश तथा पाताल बने थे। न तब कूर्म, शेष, बराह थे, न शारदा, पावर्ती तथा गणेश की उत्पत्ति हुई थी। उस समय ज्योति स्वरूपी काल निरंजन भी नहीं जन्मा था जिसने जीवों को कर्मों के बंधन में बाँध रखा है।

और क्या बताऊँ उस समय न तो तैंतीस करोड़ देवता थे, न ब्रह्मा, विष्णु, महेश का जन्म हुआ था। तब न चारों वेद थे, न पुराण आदि शास्त्र थे। 

तब सब रहे पुरूष के मांही। ज्यों वट वृक्ष मध्य रहे बीज में छुपाई।।

उस समय सर्व रचना परमेश्वर यानि सत्यपुरूष के अंदर थी। जैसे वट वृक्ष (बड़ का वृक्ष)बीज में (जो राई के दाने के समान होता है) छुपा होता है। 

ऐसे सर्व रचना परमेश्वर में बीज रूप में रखी थी। परमेश्वर को भगलीगर भी कहा जाता है।  
परमात्मा ने सर्व रचना अपने वचन से अपने शरीर के अंदर से बाहर निकाली है।हे धर्मनि आदि यानि सर्वप्रथम वाली रचना सुनाता हूँ जिसको कोई नहीं जानता और जो मैं बताने जा रहा हूँ, उसका साखी यानि साक्षी (गवाह) किसे बनाऊँ क्योंकि सब उपरोक्त देवता तथा पृथ्वी-आकाश आदि-आदि बाद में उत्पन्न किए हैं। आदि की उत्पत्ति का स्पष्ट वर्णन वेदों में भी नहीं है। वेद भी सत्यपुरूष की सत्य कथा को नहीं जानते। जो चार वेद काल निरंजन (जिसे भूल से निराकार मानते हैं) के श्वांसों से निकले थे। काल ने वेद का सत्यज्ञान वाला भाग नष्ट कर दिया था। 

शेष भाग को ऋषि कृष्ण द्वैपायन (जिसे वेदव्यास कहते हैं) ने वेद को चार भागों में बाँटा तथा कागज के ऊपर लिखा। 

वेदों वाला अधूरा ज्ञान है। 
उसी ज्ञान को पंडितजन जनता में सुनाते हैं।जिस कारण से सर्व मानव वेदों के अनुसार साधना करने लगे हैं।

परमात्मा(कविर्देव) कबीर परमेश्वर है जो आकाश में सबसे ऊपर वाले स्थान पर बैठा है। वहाँ से गति करके आता है। अच्छी आत्माओं को मिलता है। उनको उपदेश देता है।
तथा उनका कल्याण करते हैं।

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