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Showing posts from 2020

Bhaiya dooj

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             How helpful are bhaiya dooj                           भाई दुज                  भाई दूज का पर्व दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है। पहले दीपावली उसके अगले दिन गोवर्धन पूजा और फिर भाई दूज मनाया जाता है। माना जाता हैं कि भाई दूज का यह पर्व बहन के अपने भाई के प्रति प्रेम को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें इस दिन अपने भाई की खुशहाली के लिए ईश्वर से कामना करती हैं। यह पर्व रक्षाबंधन की तरह ही मनाया जाता है। हमारे शास्त्रों में लिखा हैं कि  शास्त्र विधि को त्यागकर मनमाना आचरण करते हैं उनको न तो किसी प्रकार का लाभ मिलता और ना ही उनके कोई कार्य सिद्ध होते और ना ही वे मोक्ष को प्राप्त कर सकते। भैया दूज का पर्व 84 लाख योनियां नहीं छुड़ा सकता। शास्त्र विरुद्ध साधना पर आधारित रहकर भक्ति कर्म करने वाले का मोक्ष तो बहुत दूर की बात है वह तो 84 लाख योनियों में जन्म मृत्यु से भी पीछा नहीं छुड़ा पाता। 84 लाख योनियों से केवल पूर्ण परमात्मा ही छुड़वा सकते हैं पूर्ण परमात्मा की खोज के लिए पूर्ण संत की आवश्यकता होती हैं पूर्ण संत का होना आवश्यक होता हैं  पूर्ण संत की पहचान क्या हैं जानिए👇 सतगुरु गर

How beneficial is the snake worship

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                                 नाग पुजा                             पूर्ण संत नाग पंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है। लोगो की धारणाये हैं  कि सर्प ही धन की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं और इन्हें गुप्त, छुपे और गड़े धन की रक्षा करने वाला माना जाता है. नाग, मां लक्ष्मी की रक्षा करते हैं. जो हमारे धन की रक्षा में हमेशा तत्पर रहते हैं. इसलिए धन-संपदा व समृद्धि की प्राप्ति के लिए नाग पंचमी मनाई जाती है ये सब लोगो की गलत धारणाये हैं हमारे शास्त्रों में लिखा हैं कि  शास्त्र विधि को त्यागकर मनमाना आचरण करते हैं उनको न तो किसी प्रकार का लाभ मिलता और ना ही उनके कोई कार्य सिद्ध होते तथा ना ही वे मोक्ष को प्राप्त कर सकते। शास्त्र विधि विरुद्ध साधना पतन का कारण पवित्र गीता अध्याय 9 के श्लोक 23, 24 में कहा है कि जो व्यक्ति अन्य देवताओं को पूजते हैं वे भी मेरी (काल जाल में रहने वाली) पूजा ही कर रहे हैं।प

What is the right education

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                                                                          शिक्षा Spiritual education शिक्षा मानव को एक अच्छा इंसान बनाती है।सही शिक्षा आध्यात्मिक शिक्षा हैं।जो मनुष्य का कल्याण करवाती हैं। ईश्वर ने मनुष्य को मन, बुद्धि और आत्मा विशेष रूप से प्रदत्त की है। इन्हीं के माध्यम से वह विवेकशील होकर समाज से और आत्मा को परमात्मा से जोड़ सकता है। ईश्वर ने मानव को स्थूल शरीर व इंद्रियों के अलावा एक ऐसा स्वरूप प्रदान किया है कि वह सभी के साथ संतुलन स्थापित करके जी सके। तभी वह अपने जीवन को सफल बना सकता है। चरित्र को अधिक प्रभावित करने में विद्यालय का वातावरण, अध्यापक व छात्रों के साथ-साथ बालक का पड़ोस, सामाजिक रहन-सहन, व्यवहार,आध्यात्मिक ज्ञान व वातावरण भी एक विशिष्ट स्थान रखते हैं।     वयस्क व उम्रदराज लोगों को उच्च चारित्रिक मानकों का प्रेरणादायक वातावरण बनाने के लिए अपने व्यवहार व आचरण के माध्यम से शिशुओं, किशोरों व युवकों को प्रभावित करना चाहिए। यदि हम सभी अपने-अपने आचरण को सुधार कर सच्चरित्र बनें और हमारे उस आचरण का अनुकरण बालक करें, तो अपने आप अपराधों का अंत हो

Who is true god

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                    सत्य परमात्मा कबीर साहेब जी पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ही सत्य परमात्मा है। कबीर तथा सत्य पुरूष एक ही है। यही सत्यपुरूष जगत में दास (कबीर दास)कहलाता है। यह इनकी महानता है कबीर साहेबजी ने ही सृस्टि रचना की। कबीर साहेब जी ने धर्मदास जी को बताया है,  ‘‘हे धर्मदास उस समय की बात सुन, जिस समय न तो पृथ्वी थी, न आकाश तथा पाताल बने थे। न तब कूर्म, शेष, बराह थे, न शारदा, पावर्ती तथा गणेश की उत्पत्ति हुई थी। उस समय ज्योति स्वरूपी काल निरंजन भी नहीं जन्मा था जिसने जीवों को कर्मों के बंधन में बाँध रखा है। और क्या बताऊँ उस समय न तो तैंतीस करोड़ देवता थे, न ब्रह्मा, विष्णु, महेश का जन्म हुआ था। तब न चारों वेद थे, न पुराण आदि शास्त्र थे।  तब सब रहे पुरूष के मांही। ज्यों वट वृक्ष मध्य रहे बीज में छुपाई।। उस समय सर्व रचना परमेश्वर यानि सत्यपुरूष के अंदर थी। जैसे वट वृक्ष (बड़ का वृक्ष)बीज में (जो राई के दाने के समान होता है) छुपा होता है।  ऐसे सर्व रचना परमेश्वर में बीज रूप में रखी थी। परमेश्वर को भगलीगर भी कहा जाता है।   परमात्मा ने सर्व र

Establishment of Karoth in Kashi

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                      काशी में करोथ की कथा सतभक्ति हिन्दु धर्म के धर्मगुरू जो साधना साधक समाज को बताते हैं, वह शास्त्र प्रमाणित नहीं है। जिस कारण से साधकों को परमात्मा की ओर से कोई लाभ नहीं मिला जो भक्ति से अपेक्षित किया। फिर धर्मगुरूओं ने एक योजना बनाई कि भगवान शिव का आदेश हुआ है कि जो काशी नगर में प्राण त्यागेगा, उसके लिए स्वर्ग का द्वार खुल जाएगा। वह बिना रोक-टोक के स्वर्ग चला जाएगा। जो मगहर नगर (गोरखपुर के पास उत्तरप्रदेश में) वर्तमान में जिला-संत कबीर नगर (उत्तर प्रदेश) में है, उसमें मरेगा,वह नरक जाएगा या गधे का शरीर प्राप्त करेगा। गुरूजनों की प्रत्येक आज्ञा का पालन करना अनुयाईयों का परम धर्म माना गया है। इसलिए हिन्दु लोग अपने-अपने माता-पिता को आयु के अंतिम समय में काशी (बनारस) शहर में किराए पर मकान लेकर छोड़ने लगे।यह क्रिया धनी लोग अधिक करते थे। धर्मगुरूओं ने देखा कि जो यजमान काशी में रहने लगे हैं, उनको अन्य गुरूजन भ्रमित करके अनुयाई बनाने लगे हैं। काशी, गया, हरिद्वार आदि-आदि धार्मिक स्थलों पर धर्मगुरूओं (ब्राह्मणों) ने अपना-अपना क्षेत्र बाँट रखा है। यदि कोई गुरू अन्य गु

Krishna Janmashtami

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                           जन्माष्टमी महोत्सव Krishna Janmashtami  जन्माष्टमी को श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसी प्रकार कबीर प्रकट दिवस परमेश्वर कबीर साहेबजी के   अवतरित होने के रूप में मनाया जाता हैं। जन्म- श्रीकृष्ण जी को भगवान विष्णु जी का अवतार माना जाता है। इनका जन्म देवकी और वासुदेव के पुत्र के रूप में मथुरा में हुआ था श्री कृष्‍ण जी ने कंस के कारावास में जन्म ल‌िया। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेबजी चारों युगों में कमल के फूल पर शिशु रुप में प्रकट होते हैं तथा निसंतान दंपति को मिलते हैं। मां के गर्भ से जन्म नहीं लेते। वह जन्म मृत्यु से परे है, अविनाशी है। गुरु का होना आवश्यक-  श्रीकृष्णजी ने ऋषि संदीपनी जी  को अपना गुरु बनाया था इसी प्रकार परमेश्वर कबीर साहेबजी ने स्वामी रामानंद जी को अपना गुरु बनाया था। लीलाये - श्री कृष्ण जी ने बकासुर का संहार किया था कबीर परमेश्वर जी ने भी हिरण्यकश्यप को नरसिंह रूप धारण करके मारा था। हिरण्यकशिपु ने प्रहलाद को मारने के लिए एक लोहे का खम्बा  गर्म कर रखा था उस खम्बे को प्रह

Evidence of Nature's Creation in Holy Bible

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      पवित्र बाईबल में प्रभु मानव सदृश साकार का प्रमाण Bible proof पवित्र बाईबल में प्रभु मानव सृदश साकार रूप में है या नहीं इसी का प्रमाण पवित्र बाईबल में तथा पवित्र कुआर्न शरीफ में भी है।कुआर्न शरीफ में पवित्र बाईबल का भी ज्ञान है, इसलिए इन दोनों पवित्र सद्ग्रन्थों ने मिल-जुल कर प्रमाण किया है कि कौन तथा कैसा है सृष्टी रचनहार तथा उसका वास्तविक नाम क्या है? पवित्र बाईबल(उत्पत्ति ग्रन्थ पृष्ठ नं. 2 पर, अ. 1:20 - 2:5 पर) छटवां दिन :- प्राणी और मनुष्य :अन्य प्राणियों की रचना करके फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाऐं, जो सर्व प्राणियों को काबू रखेगा।  तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया,अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी करके मनुष्यों की सृष्टी की। प्रभु ने मनुष्यों के खाने के लिए जितने बीज वाले छोटे पेड़ तथा जितने पेड़ों में बीज वाले फल होते हैं वे भोजन के लिए प्रदान किए हैं, माँस खाना नहीं कहा है। सातवां दिन :- विश्राम का दिन :परमेश्वर ने छः दिन में सर्व सृष्टी

मानव उत्थान

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                            मानव का उत्थान                              आधुनिक मानव समाज प्राचीन काल के मानव समाज से पूर्णतया भिन्न है उसके रहन-सहन, वेश-भूषा व परिस्थितियों में क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिला है । कुछ दशकों में तो मनुष्य जीवन की कायापलट हो चुकी है ।  इस परिवर्तन का संपूर्ण श्रेय विज्ञान को ही जाता है और विज्ञान पूर्ण परमात्मा की देन हैं यदि हम आधुनिक युग को विज्ञान का युग कहें तो कदापि अतिशयोक्ति न होगी, आज के परिवेश को देखते हुए सर्वथा उपयुक्त होगा । मानव हित में विज्ञान की उपलब्धियाँ अनेक हैं । विज्ञान ने मनुष्य को यातायात के ऐसे साधन प्रदान किए हैं, कि जो दूरी हमारे पूर्वज महीनों-सालों में तय किया करते थे, आज वह दूरी कुछ दिनों, घंटों में तय की जा सकती है । साइकिल, दुपहिया वाहन, कारें व रेलगाड़ी सभी विज्ञान की देन हैं । हम सब मनुष्य शब्द को समझते हैं। यह एक परिचित शब्द है जिसे आमतौर पर प्रयोग किया जाता है। लेकिन क्या हम वास्तव में जानते हैं कि कैसे मनुष्य या मानव प्रजातियां अस्तित्व में आईं और कैसे यह बीतने के साथ विकसित हुई जैसा कि

आधुनिक शिक्षा स्तर

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                           खराब शिक्षा स्तर                                       शिक्षा का अर्थ -  अध्ययन तथा ज्ञान ग्रहण करना।   शिक्षा चेतन या अचेतन रूप से मनुष्य की रूचियों समताओं, योग्यताओं और सामाजिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए, आवश्यकता के अनुसार स्वतंत्रता देकर उसका सर्वागींण विकास करती है।  शिक्षा हमारे सोचने, रहने और जीने के तरीके को बदलने में सहायता करती है।    आधुनिक शिक्षा हमें धनी बना सकती है। परन्तु उसमें नीति और संस्कारों का अभाव मिलता है। इसका स्तर गिरता जा रहा है।  हमारी प्राचीन शिक्षा  हमें प्रकृति और सभी प्राणियों से संपर्क बनाए रखने में सहायता करती थी। यह संस्कारों, नीतियों और अपने परिवेश को बेहतर समझने में सहायक थी।  मनुष्य प्रकृति के बहुत समीप था। परन्तु आधुनिक शिक्षा आज जीविका कमाने का साधन मात्र बनकर रह गई है।    संस्कार, नीतियाँ और परंपराएँ बहुत पीछे छूट गए हैं।  आधुनिक शिक्षा यथार्थ और व्यवहारिक ज्ञान से बहुत दूर है। यह मात्र आधुनिकता की बात करती है। परन्तु अध्यात्म और भावनाओं से कौसों दूर है। यह शोषण की नीति पर आधा

पूर्ण परमात्मा कौन हैं...

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                        सच्चा भगवान कौन हैं जानिए                                       👇                                                                   परमात्मा हम बचपन से ही ईश्वर , अल्लाह की भक्ति करते आ रहे हैं और इसी तरह अलग अलग तरीके से ईश्वर एवं धर्म से जुड़े हुए हैं फिर भी हम पूछते हैं कि भगवान कौन हैं क्या सच में भगवान है ,है तो कहां है भगवान, यदि भगवान है तो कहां है ,क्या किसी ने सच में भगवान को देखा है ,भगवान कहां रहता है यह  ब्रह्मांड किसने बनाया है क्या भगवान के अस्तित्व का कोई सबूत है क्या भगवान एक है या अनेक है क्या भगवान के प्रेम को महसूस कर सकते हैं यदि भगवान है तो हमें इस कुदरती आपदा बीमारी गरीबी अत्यंत दुख अन्याय और हिंसा से व्याकुल क्यों होना पड़ता है..? इन प्रश्नों का उत्तर अब संत रामपालजी महाराज ने दिया है।  उन्होंने हमें अपने स्वयं के धर्मग्रंथों से सिद्ध करके भगवान के बारे में हर जानकारी बताई है। उन्होंने हमें बताया कि - हाँ, भगवान वास्तव में मौजूद है।  वह मानव के रूप और आकार में है और उसके पास एक नाशवान शरीर नहीं है।  उनका शरीर

कौन तथा कैसा है कुल का मालिक

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                   कौन तथा कैसा है कुल का मालिक                                       👇 जिन-जिन पुण्यात्माओं ने परमात्मा को प्राप्त किया उन्होंने बताया कि कुल का मालिक एक है। वह मानव सदृश तेजोमय शरीर युक्त है। जिसके एक रोम कूप का प्रकाश करोड़ सूर्य तथा करोड़ चन्द्रमाओं की रोशनी से भी अधिक है। उसी ने नाना रूप बनाए हैं। परमेश्वर का वास्तविक नाम अपनी-अपनी भाषाओं में कविर्देव (वेदों में संस्कृत भाषा में) तथा हक्का कबीर (श्री गुरु ग्रन्थ साहेब में पृष्ठनं. 721 पर क्षेत्राय भाषा में) तथा सत् कबीर (श्री धर्मदास जी की वाणी में क्षेत्रायभाषा में) तथा बन्दी छोड़ कबीर (सन्त गरीबदास जी के सद्ग्रन्थ में क्षेत्राय भाषा में) कबीरा, कबीरन् व खबीरा या खबीरन् (श्री कुरान शरीफ़ सूरत फुर्कानि नं. 25,आयत नं. 19, 21, 52, 58, 59 में क्षेत्राय अरबी भाषा में)। इसी पूर्ण परमात्मा के उपमात्मक नाम अनामी पुरुष, अगम पुरुष, अलख पुरुष, सतपुरुष, अकाल मूर्ति,शब्द स्वरूपी राम, पूर्ण ब्रह्म, परम अक्षर ब्रह्म आदि हैं, जैसे देश के प्रधानमंत्री का वास्तविक शरीर का नाम कुछ और होता है तथा उपमात्मक नाम प्रधान म

संत सताने की सजा

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                         संत सताने की सजा एक बार दुर्वासा ऋषि ने अभिमान वश अम्ब्रीष ऋषि को मारने के लिए अपनी शक्ति से एक सुदर्शन चक्र छोड़ दिया। सुदर्शन चक्र अम्ब्रीष ऋषि के चरण छू कर वापिस दुर्वासा ऋषि को मारने के लिए दुर्वासा की तरफ ही चल पड़ा। दुर्वासा ऋषि ने सोच लिया कि तुने बहुत बड़ी गलती कर दी है। लेकिन अधिक समय न रहते देख दुर्वासा सुदर्शन चक्र के आगे-2 भाग लिया। भागता-2 श्री ब्रह्मा जी के पास गया और बोला कि हे भगवन कृप्या आप मुझे इस सुदर्शन चक्र से बचाओ। इस पर ब्रह्मा जी बोले कि ऋषि जी यह मेरे बस की बात नहीं है। अपने सिर पर से बला को टालते हुए कहा कि आप भगवान शंकर के पास जाओ। वे ही आपको बचा सकते हैं। यह सुनते ही दुर्वासा ऋषि, भगवान शंकर के पास गया और बोला कि हे भगवन् ! कृपा करके आप मुझे इस सुदर्शन चक्र से बचाओ। इस पर भगवान शिव ने भी ब्रह्मा की तरह टालते हुए कहा कि आप श्री विष्णु भगवान के पास जाओ। वही आपको बचा सकते हैं। यह सुनते ही भगवान विष्णु जी के पास जाकर दुर्वासा ऋषि ने कहा कि हे भगवन ! आप ही मेरे को इस सुदर्शन चक्र से बचा सकते हो वरना यह मेरे को काट कर मार डालेगा। इस

तंबाकू की उत्पत्ति की जानकारी

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                          तम्बाकू की उत्पत्ति एक ऋषि तथा एक राजा साढ़ू थे। एक दिन राजा की रानी ने अपनी बहन ऋषि की पत्नी के पास संदेश भेजा कि पूरा परिवार हमारे घर भोजन के लिए आऐं। मैं आपसे मिलना भी चाहती हूँ, बहुत याद आ रही है। अपनी बहन का संदेशऋषि की पत्नी ने अपने पति से साझा किया तो ऋषि जी ने कहा कि साढ़ू से दोस्ती अच्छी नहीं होती। तेरी बहन वैभव का जीवन जी रही है। राजा को धन तथा राज्य की शक्ति का अहंकार होता है। वे अपनी बेइज्जती करने को बुला रहे हैं क्योंकि फिर हमें भी कहना पड़ेगा कि आप भी हमारे घर भोजन के लिए आना।हम उन जैसी भोजन-व्यवस्था जंगल में नहीं कर पाऐंगे। यह सब साढ़ू जी का षड़यंत्र है। आपके सामने अपने को महान तथा मुझे गरीब सिद्ध करना चाहता है।आप यह विचार त्याग दें। हमारे न जाने में हित है। परंतु ऋषि की पत्नी नहीं मानी। ऋषि तथा पत्नी व परिवार राजा का मेहमान बनकर चला गया। रानी ने बहुमूल्य आभूषण पहन रखे थे। बहुमूल्य वस्त्र पहने हुए थे। ऋषि की पत्नी के गले में राम नाम जपने वाली माला तथा सामान्य वस्त्र साध्वी वाले जिसे देखकर दरबार के कर्मचारी-अधिकारी मुस्कुरा रहे थे कि