कौन तथा कैसा है कुल का मालिक
कौन तथा कैसा है कुल का मालिक
👇
जिन-जिन पुण्यात्माओं ने परमात्मा को प्राप्त किया उन्होंने बताया कि कुल का मालिक एक है। वह मानव सदृश तेजोमय शरीर युक्त है। जिसके एक रोम कूप का प्रकाश करोड़ सूर्य तथा करोड़ चन्द्रमाओं की रोशनी से भी अधिक है। उसी ने नाना रूप बनाए हैं। परमेश्वर का वास्तविक नाम अपनी-अपनी भाषाओं में कविर्देव (वेदों में संस्कृत भाषा में) तथा हक्का कबीर (श्री गुरु ग्रन्थ साहेब में पृष्ठनं. 721 पर क्षेत्राय भाषा में) तथा सत् कबीर (श्री धर्मदास जी की वाणी में क्षेत्रायभाषा में) तथा बन्दी छोड़ कबीर (सन्त गरीबदास जी के सद्ग्रन्थ में क्षेत्राय भाषा में) कबीरा, कबीरन् व खबीरा या खबीरन् (श्री कुरान शरीफ़ सूरत फुर्कानि नं. 25,आयत नं. 19, 21, 52, 58, 59 में क्षेत्राय अरबी भाषा में)। इसी पूर्ण परमात्मा के उपमात्मक नाम अनामी पुरुष, अगम पुरुष, अलख पुरुष, सतपुरुष, अकाल मूर्ति,शब्द स्वरूपी राम, पूर्ण ब्रह्म, परम अक्षर ब्रह्म आदि हैं, जैसे देश के प्रधानमंत्री का वास्तविक शरीर का नाम कुछ और होता है तथा उपमात्मक नाम प्रधान मंत्री जी,प्राइम मिनिस्टर जी अलग होता है। जैसे भारत देश का प्रधानमंत्री जी अपने पासगृह विभाग रख लेता है। जब वह उस विभाग के दस्त्तावेजों पर हस्त्ताक्षर करता है तो वहाँ गृहमंत्री की भूमिका करता है तथा अपना पद भी गृहमन्त्री लिखता है,हस्त्ताक्षर वही होते हैं। इसी प्रकार ईश्वरीय सत्ता को समझना है।
जिन आँखों वालों (पूर्ण सन्तों) ने सूर्य (पूर्ण परमात्मा) को देखा उन में से कुछके नाम हैं :
(क) आदरणीय धर्मदास साहेब जी (ख) आदरणीय दादू साहेब जी(ग) आदणीय मलूक दास साहेब जी (घ) आदरणीय गरीबदास साहेब जी(ड़) आदरणीय नानक साहेब जी (च) आदरणीय घीसा दास साहेब जी आदि।
धर्मदास जी की अमृत वाणी में प्रमाण :आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर।।
सत्यलोक से चल कर आए, काटन जम की जंजीर।।
थारे दर्शन से म्हारे पाप कटत हैं, निर्मल होवै जी शरीर।।
अमृत भोजन म्हारे सतगुरु जीमैं, शब्द दूध की खीर।।
हिन्दू के तुम देव कहाये, मुस्लमान के पीर।।
दोनों दीन का झगड़ा छिड़ गया, टोहे ना पाये शरीर।।
धर्मदास की अर्ज गोसांई, बेड़ा लंघाईयो परले तीर।
अधिक जानकारी के लिये visit करे👇👇
Comments
Post a Comment
ऐसी ही आध्यात्मिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमसे जुड़े रहें