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Establishment of Karoth in Kashi

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                      काशी में करोथ की कथा सतभक्ति हिन्दु धर्म के धर्मगुरू जो साधना साधक समाज को बताते हैं, वह शास्त्र प्रमाणित नहीं है। जिस कारण से साधकों को परमात्मा की ओर से कोई लाभ नहीं मिला जो भक्ति से अपेक्षित किया। फिर धर्मगुरूओं ने एक योजना बनाई कि भगवान शिव का आदेश हुआ है कि जो काशी नगर में प्राण त्यागेगा, उसके लिए स्वर्ग का द्वार खुल जाएगा। वह बिना रोक-टोक के स्वर्ग चला जाएगा। जो मगहर नगर (गोरखपुर के पास उत्तरप्रदेश में) वर्तमान में जिला-संत कबीर नगर (उत्तर प्रदेश) में है, उसमें मरेगा,वह नरक जाएगा या गधे का शरीर प्राप्त करेगा। गुरूजनों की प्रत्येक आज्ञा का पालन करना अनुयाईयों का परम धर्म माना गया है। इसलिए हिन्दु लोग अपने-अपने माता-पिता को आयु के अंतिम समय में काशी (बनारस) शहर में किराए पर मकान लेकर छोड़ने लगे।यह क्रिया धनी लोग अधिक करते थे। धर्मगुरूओं ने देखा कि जो यजमान काशी में रहने लगे हैं, उनको अन्य गुरूजन भ्रमित करके अनुयाई बनाने लगे हैं। काशी, गया, हरिद्वार आदि-आदि धार्मिक स्थलों पर धर्मगुरूओं (ब्राह्मणों) ने अपना-अपना क्षेत्र बाँट रखा है। यदि कोई गुरू अन्य गु

Krishna Janmashtami

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                           जन्माष्टमी महोत्सव Krishna Janmashtami  जन्माष्टमी को श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसी प्रकार कबीर प्रकट दिवस परमेश्वर कबीर साहेबजी के   अवतरित होने के रूप में मनाया जाता हैं। जन्म- श्रीकृष्ण जी को भगवान विष्णु जी का अवतार माना जाता है। इनका जन्म देवकी और वासुदेव के पुत्र के रूप में मथुरा में हुआ था श्री कृष्‍ण जी ने कंस के कारावास में जन्म ल‌िया। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेबजी चारों युगों में कमल के फूल पर शिशु रुप में प्रकट होते हैं तथा निसंतान दंपति को मिलते हैं। मां के गर्भ से जन्म नहीं लेते। वह जन्म मृत्यु से परे है, अविनाशी है। गुरु का होना आवश्यक-  श्रीकृष्णजी ने ऋषि संदीपनी जी  को अपना गुरु बनाया था इसी प्रकार परमेश्वर कबीर साहेबजी ने स्वामी रामानंद जी को अपना गुरु बनाया था। लीलाये - श्री कृष्ण जी ने बकासुर का संहार किया था कबीर परमेश्वर जी ने भी हिरण्यकश्यप को नरसिंह रूप धारण करके मारा था। हिरण्यकशिपु ने प्रहलाद को मारने के लिए एक लोहे का खम्बा  गर्म कर रखा था उस खम्बे को प्रह

Evidence of Nature's Creation in Holy Bible

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      पवित्र बाईबल में प्रभु मानव सदृश साकार का प्रमाण Bible proof पवित्र बाईबल में प्रभु मानव सृदश साकार रूप में है या नहीं इसी का प्रमाण पवित्र बाईबल में तथा पवित्र कुआर्न शरीफ में भी है।कुआर्न शरीफ में पवित्र बाईबल का भी ज्ञान है, इसलिए इन दोनों पवित्र सद्ग्रन्थों ने मिल-जुल कर प्रमाण किया है कि कौन तथा कैसा है सृष्टी रचनहार तथा उसका वास्तविक नाम क्या है? पवित्र बाईबल(उत्पत्ति ग्रन्थ पृष्ठ नं. 2 पर, अ. 1:20 - 2:5 पर) छटवां दिन :- प्राणी और मनुष्य :अन्य प्राणियों की रचना करके फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाऐं, जो सर्व प्राणियों को काबू रखेगा।  तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया,अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी करके मनुष्यों की सृष्टी की। प्रभु ने मनुष्यों के खाने के लिए जितने बीज वाले छोटे पेड़ तथा जितने पेड़ों में बीज वाले फल होते हैं वे भोजन के लिए प्रदान किए हैं, माँस खाना नहीं कहा है। सातवां दिन :- विश्राम का दिन :परमेश्वर ने छः दिन में सर्व सृष्टी

मानव उत्थान

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                            मानव का उत्थान                              आधुनिक मानव समाज प्राचीन काल के मानव समाज से पूर्णतया भिन्न है उसके रहन-सहन, वेश-भूषा व परिस्थितियों में क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिला है । कुछ दशकों में तो मनुष्य जीवन की कायापलट हो चुकी है ।  इस परिवर्तन का संपूर्ण श्रेय विज्ञान को ही जाता है और विज्ञान पूर्ण परमात्मा की देन हैं यदि हम आधुनिक युग को विज्ञान का युग कहें तो कदापि अतिशयोक्ति न होगी, आज के परिवेश को देखते हुए सर्वथा उपयुक्त होगा । मानव हित में विज्ञान की उपलब्धियाँ अनेक हैं । विज्ञान ने मनुष्य को यातायात के ऐसे साधन प्रदान किए हैं, कि जो दूरी हमारे पूर्वज महीनों-सालों में तय किया करते थे, आज वह दूरी कुछ दिनों, घंटों में तय की जा सकती है । साइकिल, दुपहिया वाहन, कारें व रेलगाड़ी सभी विज्ञान की देन हैं । हम सब मनुष्य शब्द को समझते हैं। यह एक परिचित शब्द है जिसे आमतौर पर प्रयोग किया जाता है। लेकिन क्या हम वास्तव में जानते हैं कि कैसे मनुष्य या मानव प्रजातियां अस्तित्व में आईं और कैसे यह बीतने के साथ विकसित हुई जैसा कि

आधुनिक शिक्षा स्तर

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                           खराब शिक्षा स्तर                                       शिक्षा का अर्थ -  अध्ययन तथा ज्ञान ग्रहण करना।   शिक्षा चेतन या अचेतन रूप से मनुष्य की रूचियों समताओं, योग्यताओं और सामाजिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए, आवश्यकता के अनुसार स्वतंत्रता देकर उसका सर्वागींण विकास करती है।  शिक्षा हमारे सोचने, रहने और जीने के तरीके को बदलने में सहायता करती है।    आधुनिक शिक्षा हमें धनी बना सकती है। परन्तु उसमें नीति और संस्कारों का अभाव मिलता है। इसका स्तर गिरता जा रहा है।  हमारी प्राचीन शिक्षा  हमें प्रकृति और सभी प्राणियों से संपर्क बनाए रखने में सहायता करती थी। यह संस्कारों, नीतियों और अपने परिवेश को बेहतर समझने में सहायक थी।  मनुष्य प्रकृति के बहुत समीप था। परन्तु आधुनिक शिक्षा आज जीविका कमाने का साधन मात्र बनकर रह गई है।    संस्कार, नीतियाँ और परंपराएँ बहुत पीछे छूट गए हैं।  आधुनिक शिक्षा यथार्थ और व्यवहारिक ज्ञान से बहुत दूर है। यह मात्र आधुनिकता की बात करती है। परन्तु अध्यात्म और भावनाओं से कौसों दूर है। यह शोषण की नीति पर आधा

पूर्ण परमात्मा कौन हैं...

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                        सच्चा भगवान कौन हैं जानिए                                       👇                                                                   परमात्मा हम बचपन से ही ईश्वर , अल्लाह की भक्ति करते आ रहे हैं और इसी तरह अलग अलग तरीके से ईश्वर एवं धर्म से जुड़े हुए हैं फिर भी हम पूछते हैं कि भगवान कौन हैं क्या सच में भगवान है ,है तो कहां है भगवान, यदि भगवान है तो कहां है ,क्या किसी ने सच में भगवान को देखा है ,भगवान कहां रहता है यह  ब्रह्मांड किसने बनाया है क्या भगवान के अस्तित्व का कोई सबूत है क्या भगवान एक है या अनेक है क्या भगवान के प्रेम को महसूस कर सकते हैं यदि भगवान है तो हमें इस कुदरती आपदा बीमारी गरीबी अत्यंत दुख अन्याय और हिंसा से व्याकुल क्यों होना पड़ता है..? इन प्रश्नों का उत्तर अब संत रामपालजी महाराज ने दिया है।  उन्होंने हमें अपने स्वयं के धर्मग्रंथों से सिद्ध करके भगवान के बारे में हर जानकारी बताई है। उन्होंने हमें बताया कि - हाँ, भगवान वास्तव में मौजूद है।  वह मानव के रूप और आकार में है और उसके पास एक नाशवान शरीर नहीं है।  उनका शरीर

कौन तथा कैसा है कुल का मालिक

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                   कौन तथा कैसा है कुल का मालिक                                       👇 जिन-जिन पुण्यात्माओं ने परमात्मा को प्राप्त किया उन्होंने बताया कि कुल का मालिक एक है। वह मानव सदृश तेजोमय शरीर युक्त है। जिसके एक रोम कूप का प्रकाश करोड़ सूर्य तथा करोड़ चन्द्रमाओं की रोशनी से भी अधिक है। उसी ने नाना रूप बनाए हैं। परमेश्वर का वास्तविक नाम अपनी-अपनी भाषाओं में कविर्देव (वेदों में संस्कृत भाषा में) तथा हक्का कबीर (श्री गुरु ग्रन्थ साहेब में पृष्ठनं. 721 पर क्षेत्राय भाषा में) तथा सत् कबीर (श्री धर्मदास जी की वाणी में क्षेत्रायभाषा में) तथा बन्दी छोड़ कबीर (सन्त गरीबदास जी के सद्ग्रन्थ में क्षेत्राय भाषा में) कबीरा, कबीरन् व खबीरा या खबीरन् (श्री कुरान शरीफ़ सूरत फुर्कानि नं. 25,आयत नं. 19, 21, 52, 58, 59 में क्षेत्राय अरबी भाषा में)। इसी पूर्ण परमात्मा के उपमात्मक नाम अनामी पुरुष, अगम पुरुष, अलख पुरुष, सतपुरुष, अकाल मूर्ति,शब्द स्वरूपी राम, पूर्ण ब्रह्म, परम अक्षर ब्रह्म आदि हैं, जैसे देश के प्रधानमंत्री का वास्तविक शरीर का नाम कुछ और होता है तथा उपमात्मक नाम प्रधान म